2022 में रमजान मुबारक कब है 2022 में पहला रोजा कब है
2022 में रमजान मुबारक कब है 2022 में पहला रोजा कब है और ये रमज़न मुबारक का महीना कितना बरकतो वाला होता है 2022 पहला रोज़ा 3 अप्रैल बरौज इतवार को होगा
रमाज़न के रोजी एहमियत क्या होती है इस आर्टिकल केजरिए
महोत्रम हजरात आज हम जानेंगे की रमज़ान के सभी रोजो कि क्या एहमियत होती है रमज़ान के रोजे इस्लाम की 5 बुनियादो में से एक बुनियाद और सबसे ज्यादा अहम और जरूरी एहकाम में से एक हुक्म है
जानबूजकर रमज़ान के रोजे न रखने बाला सही मायने में मुसलमान नही है सिर्फ एक रोजा रखकर बे बजा तोड़ देने की दुनिया में सजा जिसे कफ्फारा कहते है बो ये है के एक गुलाम आजाद करे या फिर 60 रोजे लगातार रखे या फिर 60 मिस्किनो को दोनो बक्त खाना खिलाएं और तोबा करे कुरान ए करीम में जगा जागा और सैकड़ों
हदीसो में रमज़ान के रोजो का जिक्र मोजूद है अगर कोई शख्स रमज़ान का सिर्फ एक रोजा जनबूजकर छोड़ दे और साल के 330 दिन लगातार रोजे रखे तब भी रमज़ान के महीने के एक रोजे के बराबर नहीं हो सकते
रमज़ान न रखने से कोन कोन सी बीमारियां से सिफा मिलती है
रमज़ान रखने से कोन कोन सी बीमारियो से सिफा मिलती है दोस्तों और अजिजो जब कोई शख्स रोजा रखा करता है और बो पूरे 30 दिनों तक दिन में 10 से 12 से घंटे तक भूख रहता है तो उस शख्स के जिसमे में जितना भी साल भर की बीमारियां होती है बो सब बीमारियां भूख की सिद्दत में उस शख्स का जिस्म खा जाता है दोस्तो और अजीजो बड़े बड़े डॉक्टर्स भी बहुत खोज करने के बाद ये कहते है की हर शख्स को साल में एक महीने हर रोज 10 से 12घंटे तक भूख रहना चाहिए जब हम एक महीने तक दिन में 10 से 12 घंटे तक भूखे रहते है तो हमारी बॉडी हमारे सड़ गले हिस्से को खाने लगती है और हम कैंसर जैसे बीमारियो से महफूज रहते है रोजा रखने से जब कोई शख्स भूखा रहता है और जब उसे भूख और प्यास की परेशानी महसूस होती है तो भूखे लोगों को खिलाने का जज्बा पैदा होता है रोजे रखने में डॉक्टरी और तिब्बी फायदे भी बहुत ज्यादा है रोजे और उनकी भूख बहुत सी बीमारियों को खत्म करती है जिस्म को साफ करती है और निखारती है और पेट की गंदगी और अलाइसो बीमारी के कीड़ों और ज्रासीम को जलाती है रोजा हमारी जिंदगी का सबसे हसीन तोहफा है हम 11 महीने खूब खाते पीते है लेकिन एक महीने की रोजो की बरकत से अल्लाह ताला पूरे साल के गुनाह माफ फरमाता है तो अल्लाह रब्बुलइज्जत हम सबको रोजे रखने की ओर तराबी और 5 वक्त की नमाज पढ़ने की तौफिक आता फरमाए आमीन या रब्बूल आलामीन
तो दोस्तो और अजीजों रमज़ान रखने से कोई कमजोर नहीं होता है कोई पतला नही होता है बल्कि ज़िंदगी में बीमारियां काम हो जाती है तो दोस्तो और अजीजों हमे रमज़ान किसी भी हालत में नहीं छोड़ना चाहिए
रमजान का महीना कितनी बरकत वाला महीना होता है और इसमें एक नेकी करने पर कितने गुना नेकियों का स्वभाव होता है
रमजान उल मुबारक से मुतालिक अहम हिदायत सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया है की रमाजान अजमतो और बरकतो बाला महीना होता है और लाइलातुल कद्र का महीना होता है दोस्तो और अजीजो इस महीने में एक फर्ज़ अदा करने पर 70 फर्ज़ के बराबर सबाव मिलता है और नफली इबादत भी फर्ज़ के बराबर होती है यहां तक कि शहरी खाने पर भी अजरो स्बाव मिलता है इफ्तारी के वक्त जहन्नम से छुटकारे का परवाना मिलता है एक रोजदार को इफ्तार करान पर मगफिरत का एलान होता है रमजान उल मुबारक के महीने में तीन अशरे होते हैं पहला अशरा रहमत का और दूसरा अशरा मगफिरत का होता है और तीसरा अशरा जहन्नम से छुटकारे का होता है
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