दोस्तों शुरू करते हैं कादर खान साहब के जन्म से बॉलीवुड के मशहूर राइटर और बेस्ट एक्टर कादर खान साहब का जन्म 22 अक्टूबर 1937 में अफगानिस्तान मुल्क के काबिल शहर में हुआ था कादर खान की पैदाइश से पहले उनके तीन भाई पैदा हुए थे जो 8 साल की उम्र तक जी पाए फिर कादर खान साहब की पैदाइश हुई और कादर खान जी की पैदाइश होने के बाद उनकी मां को यह एहसास होने लगा कि शायद यह जगह हमारी संतान के लिए ठीक नहीं है फिर कदर साहब की माताजी ने कादर कादर खान साहब के पिता को तंग किया कि हम यह जगह छोड़ कर कहीं और रहेंगी उनके पिता एक आलिम थे और वह काबिल के रहने वाले थे उनकी माता जी भी काबिल की रहने वाली थी उनके पिता ने यह बात मानली और वह हिंदुस्तान आकर महाराष्ट्र मुंबई के कमाठीपुरा
मैं आकर रहने लगे जोकि पहले के मुकाबले तो वह इलाका काफी गंदा था ही लेकिन अगर आज भी देखोगे तो महाराष्ट्र के मुंबई के कमाठीपुरा इलाके की गंदगी आज भी इस बात का सबूत है तो पहले उसमें क्या होगा फिर कादर खान साहब के पिता कि उनकी माता के साथ कुछ ऐसी बातें हो गई जिसके कारण कादर साहब की माता का उनके पिता से तलाक हो गया उस भगत खादर साहब की उम्र सिर्फ 2 साल थी फिर कुछ दिन बाद कादर साहब के मामा जी ने उनकी मां की शादी उसी इलाके के पेशेवर मस्जिद के इमाम से करा दी फिर कादर खान साहब उन्हीं के पास पढ़ने लगे जिंदगी गुजारा होने लगा था लेकिन गरीबी और मुफलिसी घर से फिर भी नहीं गई लेकिन कादर साहब ने अपने साथ के कुछ बच्चों को एक फैक्ट्री मे काम करने के लिए जाते हुए देखा जो दिन का तीन से चार रुपए कमाते थे फिर उनके दिल में भी यह विचार आया कि मुझे भी काम करना चाहिए जिससे मैं अपने माता पिता का सहारा बनू और फिर 1 दिन जब कादर खान अपने घर से उन बच्चों के साथ काम करने जाने के लिए तैयार हुए जैसे ही घर से बाहर कदम रखा उनकी मां ने उनको रोका और कहां कि बेटा कादर तुम जो काम करने जा रहे हो दिन का ₹3 या ₹4 दिहाड़ी पर वह हमेशा तीन या चार ही रहेंगे अगर गरीबी को खत्म करना है तो कलम को अपनी ताकत बनाओ जिंदगी भर कामयाब रहोगे फिर कादर साहब को अपनी माता जी की बात मन भा गई यूं कहो कि दिल में उतर गई उसी दिन से उन्होंने अपनी स्टडी चालू की
फिर सिविल इंजीनियरिंग किया उसके बाद कॉलेज मैं ड्रामा लिखना स्टार्ट स्टार्ट किया अपनी ड्रामा राइटिंग और अपनी एजुकेशन की वजह से वह इतने फेमस होने लगी कि दूसरी कॉलेज के स्टूडेंट्स भी उनको देखना आया करते कॉलेज में लिखते लिखते कादर खान साहब काफी पॉपुलर हो गए
मैं आकर रहने लगे जोकि पहले के मुकाबले तो वह इलाका काफी गंदा था ही लेकिन अगर आज भी देखोगे तो महाराष्ट्र के मुंबई के कमाठीपुरा इलाके की गंदगी आज भी इस बात का सबूत है तो पहले उसमें क्या होगा फिर कादर खान साहब के पिता कि उनकी माता के साथ कुछ ऐसी बातें हो गई जिसके कारण कादर साहब की माता का उनके पिता से तलाक हो गया उस भगत खादर साहब की उम्र सिर्फ 2 साल थी फिर कुछ दिन बाद कादर साहब के मामा जी ने उनकी मां की शादी उसी इलाके के पेशेवर मस्जिद के इमाम से करा दी फिर कादर खान साहब उन्हीं के पास पढ़ने लगे जिंदगी गुजारा होने लगा था लेकिन गरीबी और मुफलिसी घर से फिर भी नहीं गई लेकिन कादर साहब ने अपने साथ के कुछ बच्चों को एक फैक्ट्री मे काम करने के लिए जाते हुए देखा जो दिन का तीन से चार रुपए कमाते थे फिर उनके दिल में भी यह विचार आया कि मुझे भी काम करना चाहिए जिससे मैं अपने माता पिता का सहारा बनू और फिर 1 दिन जब कादर खान अपने घर से उन बच्चों के साथ काम करने जाने के लिए तैयार हुए जैसे ही घर से बाहर कदम रखा उनकी मां ने उनको रोका और कहां कि बेटा कादर तुम जो काम करने जा रहे हो दिन का ₹3 या ₹4 दिहाड़ी पर वह हमेशा तीन या चार ही रहेंगे अगर गरीबी को खत्म करना है तो कलम को अपनी ताकत बनाओ जिंदगी भर कामयाब रहोगे फिर कादर साहब को अपनी माता जी की बात मन भा गई यूं कहो कि दिल में उतर गई उसी दिन से उन्होंने अपनी स्टडी चालू की
फिर सिविल इंजीनियरिंग किया उसके बाद कॉलेज मैं ड्रामा लिखना स्टार्ट स्टार्ट किया अपनी ड्रामा राइटिंग और अपनी एजुकेशन की वजह से वह इतने फेमस होने लगी कि दूसरी कॉलेज के स्टूडेंट्स भी उनको देखना आया करते कॉलेज में लिखते लिखते कादर खान साहब काफी पॉपुलर हो गए
फिर कादर खान साहब एक दिन कामिनी कौशल और राजेंद्र सिंह बेदी से मुलाकात हुई उन्होंने कहा कि आप इतने अच्छे ड्रामा राइटर हो क्या कभी आपने फिल्मों मैं जाने का सोचा है तो कदर साहब ने जवाब दिया जी मैंने तो कभी ऐसा नहीं सोचा कभी चैन से नहीं पढ़ा फिर राजेंद्र सिंह बेदी ने कहा कि मैं एक फिल्म बना रहा हूं जिसका नाम है जवानी दीवानी जिस फिल्म के हीरो कमल हासन है तो राजेंद्र सिंह बेदी ने कहा कि आप इस फिल्म के डायलॉग लिखें तो कादर खान ने कहा कि सर मुझे डायलॉग लिखना नहीं आता लेकिन राजेंद्र सिंह बेदी ने उन्हीं के हाथों डायलॉग लिखवाए और फिर उस फिल्म को सभी अवार्ड से सम्मानित किया गया था जिसमें कादर खान साहब की राइटिंग की पहली सैलरी 15 सो रुपए थी अब जान नहीं सकते कि उस वक्त में 15 सो रुपए की वैल्यू कितनी थी तो यहां से कादर खान साहब ने अपनी फिल्म राइटिंग का सिलसिला शुरू किया फिर उन्होंने प्रकाश मेहरा की एक और फिल्म में काम किया जिसका नाम मुकद्दर का सिकंदर था तो उसमें अमिताभ बच्चन कुछ इस तरीके का रोल कर रहे थे जो डायलॉग्स कादर खान ने लिख कर दिए थे अब अमिताभ बच्चन जी से वह डायलॉग्स बोली नहीं जा रहे थे फिर कदर साहब को बुलाने के लिए अमिताभ बच्चन ने अपने ड्राइवर को भेजा फिर कादर साहब ने आकर वो डायलॉग पढ़ कर बताएं उस दिन से कादर साहब का इंडस्ट्री में बोलबाला हो गया और फिर उन्हें कामयाबी पर कामयाबी मिलती गई और अकेले कादर खान साहब ऐसे राइटर थे जो दो मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा जैसे प्रोड्यूसर के साथ अकेले काम करते थे जो की टॉप प्रोड्यूसर थे प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई के काम करके इन्होंने बहुत सारी फिल्में लिखी जैसे लावारिस नमक हलाल शराबी जवानी दीवानी अमर अकबर एंथनी जैसी बहुत सारी फिल्में लिखी
फिर हमारी इंडस्ट्री के टैलेंटेड मोहम्मद कादर खान साहब बेस्ट राइटर एंड बेस्ट एक्टर 31 December 2018 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए
सो फ्रेंड्स अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को एक लाइक जरुर कर देना और दोस्तों कमेंट करके जरूर बताएं मै की आईडी कल कैसा लगा और ऐसे ही लेटेस्ट
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